Richa Jain (United Kingdom/India) is a London based poet and writer of Indian origin, a language teacher and translator. She writes in Hindi and English. Her work has been published in various magazines, websites and anthologies and put up in Art Trails in London. Her Hindi poetry collection ‘Jeevan Vritt, Vyas Richayein’ was honoured and awarded by The High Commission of India, UK for the year 2018.

 

English

 

HIndi


 

 DEAR DAUGHTER

 

Must you see my footprints, then see

And find my eyes in them

And search not

With a telescope a pole star

This time

 

Watch with your naked eyes the abundance of anonymous stars

Their varying sheen.

 

Must you see my footprints, then see

And find my ears in them

And listen not

To the talks of destination

This time

 

Hear the rustles of the wind and wander

 

Must you see my footprint, then see

And smell them carefully,

They will have some fragrance

Breathe. Deep

And recognize the air, the water, the laughter, the free will.

 

Must you see my footprints, then see

And judge not

How far, how many, how big, what shape

 

Just know, at which doors they halted and gazed

Perplexed

Upon hearing the mysterious tunes

From anonymous chambers of the heart

 

And ignoring moved on

In the urgency to arrive

 

There, just there, at those doors

stop, knock, enter

 

Must you see my footprints, my daughter

See, hear, smell, perceive -

And imprint

your own.

 

 

 

 

AHAM DATA ASMI

(I AM DATA)

 

(Almost every action of ours is a contribution towards our digital avatar.)

 

I am data

 

A click on the beach - data

A tap payment in a salon - data

A selfie in a train - data

 

My birth is hassle free and fun

Touch - swipe – insert - and I am conceived

 

No, not in a biological womb, this baby ‘me’ is grows globally

Every tap, touch, swipe passes on a DNA

Takes away a bit of me and converts it into a byte – a data byte

 

My behaviour gets captured in rows and columns

My preferences in 0s and 1s

I am transforming from analogue into digital,

from vivid into black and white,

from decimal into binary

I am becoming Data

 

My talking – captured, my writing – captured, my watching – captured

My thinking, who knows? perhaps that too!

 

And carrying super sophisticated phones and cards

Like my own guns and knives pointed at me

I self-attack

I shoot me; I cut me; I make me a commodity in the big data market

 

For them to predict - what I eat - Meat, vegetarian or vegan?

I may pretend to be something else but they would know -

if I am Louis Vuitton or Primark; H & M or Zara

Comedy, tragedy or romance

What do I surf at night

 

I am expanding like never before

In Face book, Twitter, Instagram, You tube, Google,

In Cloud ’s too

 

I am gaining weight - am I ready to be born?

How much do I weigh - I GB? 2GB? 3GB? 3GB is good!

 

 

Caesarean – Scissors - Cut - Copy – Paste – Collate

Download …

And I am delivered - In a chip

 

They would buy me

To win elections, to design new collection

To optimise their stocks, to spam my mail box

To make new marketing strategies, to lure me out of me –

They would buy me, cleanse me, maintain me

 

Even when I die, they wouldn’t let me die

I will be ash on the ground, but alive in the grid

Stuck- waiting to be released; waiting to be deleted

 

From dust to data – BIG DATA

I am data

Aham Data Asmi!

 

 

प्रिय पुत्री 

 

अगर देखना ही चाहोगी मेरे पदचिन्ह, मेरी बेटी, तो देखना
उनमें ध्यान से
आँखें भी हैं
और अबके ढूँढना मत टेलिस्कोप से

किसी ध्रुव तारे को

 

बल्कि देखना घास पर लेटकर मुक्त आँखों से
जगह फेरते अनाम तारे, और उनकी कम-ज़्यादा होती टिमटिमाहट

 

अगर देखना ही चाहोगी मेरे पदचिन्ह तो सुनना 
ध्यान से
उनमें कान भी हैँ
और अबके छोड़ देना गंतव्य को 
और सुनना सारी बातें यायावरी की
  


जो देखना ही चाहोगी मेरे पदचिन्ह तो सूँघना
ध्यान से
कुछ गंध भी होंगीं उनमें
गहरे खींचना और पहचानना
हवा, पानी, हँसी और स्वछंदता  

जो देखना ही चाहोगी मेरे पदचिन्ह तो देखना
मत
कि कहाँ तक, किस राह, कितने सुडौल या कितने बड़े
वरन देखना, कहाँ ठिठक हो गए थे खड़े
किन दरवाजों को रहे तकते

वहाँ, बस वहाँ रुक जाना।
और अबके न करना अनसुना हृदह के भीतरी कमरों से आते उन मद्धम आभासों को
खटखटाना उन दरवाज़ों को
 
जो देखना ही चाहोगी, मेरी बेटी, मेरे पदचिन्ह
तो देखना, सुनना, सूँघना, समझना,
और चिन्हित करना नये
स्वयं के

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अहम् डेटा अस्मि
(बाइट्स-बाइट्स करके हमारा एक डिजिटल अवतार बनता जा रहा है।)   
   
मैं डेटा हूँ
समन्दर किनारे क्लिक - डेटा
सैलून में टैप पेमेंट - डेटा
ट्रेन में सेल्फी - डेटा

बड़ा सहज है मेरा पैदा होना  
टच, स्वाइप या इंसर्ट
और बस, देखो मैं आ गया – गर्भ में   

न, न, उस जैविक गर्भ में नहीं

हर टैप, स्कैन और स्वाइप पर स्थानांतरित होता है एक डी. एन. ए.  
खिंच जाता है एक अंश मेरा परिवर्तित होने बाइट में
मैं बाइट्स बन रहा हूँ
मेरा व्यवहार कैद हो रहा है उनकी पंक्तियों और स्तंभों में
मेरी प्राथमिकताएं - शून्यों और एकों में
एनालॉग से डिजिटल
        रंगीन से श्वेत-श्याम    
              दशमलव से द्वयंक - बन रहा हूँ मैं, बढ़ रहा हूँ मैं
मेरे कथन – ‘कैप्पचर्ड’ मेरा लेखन – ‘कैप्पचर्ड’ मेरा दर्शन – ‘कैप्पचर्ड’ मेरा श्रवण – ‘कैप्पचर्ड’
मेरा चिंतन, कौन जाने – शायद वो भी!
 
और मैं - परस्पर क्रियाशील आत्मघात करने में
अपने ही अति-परिष्कृत फ़ोन और कार्ड से
जैसे ये मेरे डिजिटल बंदूक और चाकू तने हैं मेरी ही तरफ
मारते हैं गोली, काटते हैं और बना देते हैं मुझे बड़े डेटा बाज़ार में एक वस्तु

हर पल बढ़ रहा हूँ, पूरा हो रहा हूँ
और तब वे जान जाएँगे मुझे पूरा का पूरा
कि मुंबई, लंदन या विएना  
वेज, नान-वेज या वीगन
पोलो, राल्फ लॉरेल या गैप
कॉमेडी, ट्रैजेडी या रोमांस

मेरा विस्तार हर जगह - फेस बुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यू ट्यूब, गूगल-ड्राइव क्लाउड्ज़ में भी
मेरा वजन बढ़ रहा है - लगातार
कितना हो गया? क्या तैयार हूँ पैदा होने के लिए?
कितने जीबी का हूँ? 2 जीबी 3 जीबी! हाँ हाँ – 3 जीबी बढ़िया है!
डाउनलोड, सिजेरियन, कैंची
कट, कॉपी, पेस्ट और बस

मैं आ गया बाज़ार में – एक चिप में बंद
मुझे खरीद लिया जाएगा

चुनावी उठा-पटक के लिए, व्यापारिक रणनीतियों के लिए
मार्केटिंग के लिए, शेयर बाजार के लिए
मेरे ही मेल-बॉक्स को स्पैम करने के लिए
मुझे मुझसे ही लुभाने के लिए
वे मुझे खरीद लेगें  
न मरने देंगे मरने पर भी   
 
मैं राख हो जाऊंगा लेकिन फिर भी जिंदा रहूँगा ग्रिड में
अटका, अपने डिलीट होने का इंतजार करता
सदैव शाश्वतं च
मिट्टी से डेटा तक
अहम् डेटा अस्मि


Translated from Hindi into English by the poet